पीयूष पांडे
दिल्ली। गूगल की ई-मेल सेवा जी-मेल को 1 अप्रैल 2004 को जब शुरु किया गया था, तो उसमें कोई विशेष फीचर्स नहीं थे। सिवाय मेल के भीतर बेहतरीन सर्च और एक जीबी की जबरदस्त संग्रहण क्षमता के। जी-मेल की सदस्यता भी उस वक्त निमंत्रण से मिलती थी। उस दौर में अमेरिका की लोकप्रिय ई-मेल सेवा यूएसएडॉटनेट ने लोगों से पैसा वसूलना शुरु किया था, लिहाजा निशुल्क एक जीबी की संग्रहण क्षमता की सुविधा ने लोगों को जी-मेल का दीवाना बना दिया। हालांकि, जी-मेल की शुरुआत के पहले दिन सूचना तकनीक के कई जानकार इस बात पर बहस कर रहे थे कि कहीं यह गूगल का पहली अप्रैल का मजाक तो नहीं !
ऐसा नहीं था और देखते देखते जी-मेल पूरी दुनिया पर छा गई। लेकिन, पिछले सात साल में जी-मेल अगर एक हद तक ई-मेल का पर्याय बन गई तो इसकी वजह सिर्फ अपार ‘स्टोरेज कैपेसिटी’ नहीं है, बल्कि कई ऐसे फीचर्स भी हैं, जिन्हें जी-मेल के साथ लगातार जोड़ा गया। यह अलग बात है कि आज भी लाखों उपयोक्ताओं सिर्फ सामान्य फीचर्स से ही काम चलाते हैं,क्योंकि उन्हें कई उपयोगी सुविधाओं के बारे में पता ही नहीं है। हां, संग्रहण क्षमता भी सात जीबी तक बढ़ चुकी है।जी-मेल के भीतर कई ऐसी सुविधाएं हैं, जिनका इस्तेमाल न केवल आपका कीमती समय बचाता है,बल्कि कई झंझटों से मुक्ति दिलाता है। मसलन अगर आपको जी-मेल का इस्तेमाल करते वक्त इंटरनेट पर कुछ ‘सर्च’ करना है तो आप क्या करते हैं?
बहुत संभव है कि आप एक नयी विंडो में गूगल या कोई दूसरा सर्च इंजन खोलें और संबंधित की-वर्ड टाइप करें। लेकिन, जी-मेल के भीतर ही गूगल सर्च का विकल्प भी है। यानी आप मेल के भीतर ही कुछ खोज सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको सैटिंग्स में जाकर गूगल सर्च विकल्प को सक्रिय करना है। इसी तरह आप जीमेल में फ़्लिकर, पिकासा और यूट्यूब की फ़ीचर ‘इनेबल’ कर लें, तो आप जीमेल के अन्दर ही किसी ई-मेल में यूट्यूब वीडियो और फ़्लिकर व पिकासा वग़ैरह की तस्वीरें देख सकते हैं। इसके लिए आपको इन साइट्स को खोलने की ज़रूरत नहीं होगी। किसी ई-मेल में अगर इनका लिंक है, तो आप उसी ई-मेल के अन्दर ये सब देख सकेंगे। इसके लिए आपको “लैब्स” के ऑप्शन में जाकर इन फ़ीचर्स को ‘इनेबल’ करना पड़ेगा।
जीमेल की ऐसी ही एक और ख़ास सुविधा है ‘अनडू सेंड’। कई बार ऐसा होता है कि हम जल्दबाज़ी में ई-मेल के ‘सेंड’ बटन पर क्लिक कर देते हैं और क्लिक करते ही हमें याद आता है कि कोई ख़ास चीज़ लिखना तो रह ही गयी। ऐसे में यह फ़ीचर विशेष फ़ायदेमंद है। अगर आप “लेब्स” में जाकर इस फ़ीचर को इनेबल कर लेते हैं, तो ई-मेल भेजने के तीस सेकेण्ड बाद तक आप उसे ‘अनडू सेंड’ के बटन पर क्लिक करके रोक सकते हैं। इसी तरह एक सेवा है ‘मेल गॉगल्स’। इस सुविधा का सोशल मीडिया जानकार मजाक भी उड़ाते हैं, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह काम की है। इस फीचर को इनेबल करने के बाद देर रात मेल करने के दौरान लोगों को कुछ वक्त छोटी सा सवाल हल करना पड़ता है। यह उन लोगों के लिए उपयोगी है,जो देर रात पार्टी करने के बाद भी मेल करते हैं। जीमेल की एक अन्य दिलचस्प सुविधा है – “मैसेज स्नीक पीक”। कई बार हम जल्दी में होते हैं और एक-एक मैसेज खोलकर नहीं देखना चाहते कि उसमें क्या लिखा है। ऐसे में यदि “लैब्स” की यह फ़ीचर एक्टिव है, तो आप उस ई-मेल पर महज़ कर्सर ले जाकर उसकी शुरुआती चन्द पंक्तियाँ पढ़ सकते हैं। न केवल यह आपके ई-मेल के काम को तेज़ करता है, बल्कि शीघ्रता से ज़्यादा-से-ज़्यादा ई-मेल्स का जायज़ा लेने में आपकी सहायता भी करता है।
अगर आपको ऐसी ई-मेल अक्सर मिलती हैं जो किसी अन्य भाषा में हों, तो ‘जीमल ट्रांस्लेशन’ की सुविधा भी आपके लिए काफ़ी उपयोगी साबित हो सकती है। इस फ़ीचर को इनेबल करने के बाद आप किसी अन्य भाषा की ई-मेल को खोलकर वहीं उसे अपनी भाषा में अनुदित करके पढ़ सकते हैं और इसके लिए आपको किसी बाहरी साइट पर जाने की भी आवश्यकता नहीं है।“जीमेल लैब्स” की सबसे लोकप्रिय सुविधाओं में से एक है ई-मेल में तस्वीर “एम्बेड” करने या चस्पा करने की सुविधा। आम तौर पर यदि कोई तस्वीर भेजनी हो तो उसे उपयोक्ता ई-मेल में “अटेचमेंट” लगाकर भेजते हैं। लेकिन अगर ई-मेल के अन्दर ही लिखित सामग्री के साथ बीच-बीच में तस्वीरें लगानी हों, तो इस सुविधा के ज़रिए आसानी से ऐसा किया जा सकता है। आप तस्वीर का आकार भी कम-ज़्यादा कर सकते हैं।वैसे, हाल के दिनों में जी-मेल ने कई फीचर्स को हटाने की भी सुविधा दी है। मसलन जीमेल ने अपने आप ई-मेल पते जोड़ने वाली सुविधा यानी ऑटो एडिंग कॉटेक्ट्स को डीसेबल करने की सुविधा जोड़ी है।बहरहाल, जीमेल लैब्स में ऐसा बहुत कुछ है, जिसे आप अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ अपने जीमेल में जोड़ सकते हैं मसलन आप चाहें तो जीमेल में शॉर्टकट्स इनेबल कर सकते हैं, नए रंग-बिरंगे लेबल्स लगा सकते हैं, अपनी ई-मेल में जीमेल के अन्य अकाउण्ट्स जोड़ सकते हैं और कई सारी फ़ीचर्स इनेबल कर सकते हैं। जीमेल का अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ पूरा इस्तेमाल आपके काम में तेज़ी लाएगा और समय-प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
बॉक्स- गड़बड़ियों का जी-मेल !
गूगल की जी-मेल सेवा के दुनिया भर में करीब 20 करोड़ ग्राहक हैं, जो लाखों मेल रोजाना भेजते हैं। ऐसे में जी-मेल सेवा का एक पल के लिए बंद होना कई उपयोक्ताओं को भारी पड़ जाता है। लेकिन, पिछले दिनों जी-मेल में गड़बड़ी की शिकायतें बढ़ी हैं। 2009 में 24 फरवरी को जी-मेल सेवा लगातार तीन घंटे के लिए ठप हो गई थी। उस वक्त गूगल ने माफी मांगी थी। पिछले महीने भी जी-मेल सेवा में भयंकर गड़बड़ी आई, जिसके चलते करीब 30,000 लोगों का डाटा गायब हो गया। छोटी-मोटी गड़बड़ियों की खबरें लगातार जी-मेल के उपयोक्ताओं और यहां तक की जी-मेल को परेशान कर रही है। ऐसे में जरुरी यही है कि जी-मेल के अपने डाटा का संग्रहण सावधानी पूर्वक करें या उनकी एक कॉपी और बनाएं। जी-मेल निश्चित रुप से दुनिया की सबसे लोकप्रिय ई-मेल सेवा है, लेकिन इस पर आवश्यकता से अधिक निर्भरता ठीक भी नहीं।